After many years, attempting to write in language of my conscience.
Today i have deleted my yesterdays usefless blog.., may be this one also remain for few days on this page before meeting the same fate.
Regards , Ravi______________________________________________
" मुझे याद है वह अद्भुत क्षण , जब तुम मेरे समूख आई थी ।
निर्मल, निश्छल, रूप छठा सी , जैसे उड़ती सी परछाई ।
घोर उदासी , गहन निराशा , जब जीवन में कुहरा छाया,
मंद, मंद स्वर तेरा गूंजा, मधुर रूप सपनो में आया ।
बीते वर्ष बवंडर टूटे, हुए खंडित स्वप्न सुहाने ,
किसी परी सा स्वप्न तुम्हारा , भूला वाणी स्वर पहचाने ।
सूनेपन एकांत हर्दय में , बीते बोझिल दिन निस्सार ,
बिना आस्था, बिना प्रेरणा रहे ना आंसू , जीवन , प्यार...।"
.....रवि
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